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दुःख सोचो तो दुःख,सुख सोचो तो भी दुःख,और आनंद सोचा नहीं जा सकता || आचार्य प्रशांत (2016)

2019-11-27 1 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१७ फरवरी २०१६<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />प्रसंग:<br />कुछ शुरुआत करता हूँ तो डर क्यों लगता है?<br />दुःख सोचो तो दुःख,सुख सोचो तो भी दुःख,और आनंद सोचा नहीं जा सकता<br />मन सीमित से बाहर क्यों नहीं आता है?

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